Pillow talk couple
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सेक्स के बाद बात करने में हार्मोन्स का महत्त्व

द्वारा Sarah Moses अप्रैल 28, 03:52 बजे
क्या आप सेक्स के बाद बात करने में विश्वास रखते हैं? या फ़िर इस ख्याल से ही आपको घबराहट होने लगती है? आप जो भी विकल्प चुनेंगे उसकी वजह टेस्टोस्टेरोन नाम का एक हार्मोन होगा, ऐसा पता चला एक अमरीकी रिसर्च के द्वारा।

आप पहली बार किसी के साथ सेक्स करते हैं और बदकिस्मती से वो उतना अच्छा नहीं होता जितनी आपको उम्मीद थी...आप इस बारे में बात करेंगे या यह सोचकर चुप रहेंगे कि शायद अगली बार बेहतर होगा?

सेक्स के बाद उसके बारे में बात करना ख़ासा मुश्किल हो सकता है। लेकिन यह करना बेहद ज़रूरी है। अगर आप इस बारे में अपने ख्याल और विचार अपने साथी के साथ बांटेंगे तो यह ना सिर्फ़ आपके जीवन में  हो रहे सेक्स के लिए अच्छा होगा बल्कि रिश्ते को सुखद और संतुष्ट बनाये रखने में भी आपकी मदद करेगा।

वैसे तो सेक्स के बाद बात करना अधिकतर लोगों के लिए अजीब होता है लेकिन फ़िर भी कुछ लोग हैं जिन्हें सेक्स के बाद अपने साथी से अंतरंग होकर बातें करना अच्छा लगता है।

निस्संदेह इसकी कई वजह हो सकती हैं जैसे आपका खुद का व्यक्तित्व और आप अपने साथी के साथ किस तरह के रिश्ते में हैं। वैसे भी ओर्गास्म के बाद लोग और खुल कर बात करते हैं, ऐसा मानना हैं रिसर्च का।

यह भी पता चला है कि 'पिल्लो (तकिया) टॉक' या फ़िर सेक्स के बाद बात करने में हार्मोन्स का भी काफ़ी योगदान होता है, खासकर इन दोनों का:

ओक्सिटोसिन: ओक्सिटोसिन, जिसे 'लव' हार्मोन भी कहा जाता है, सेक्स के बाद दोनों साथियों के बीच विश्वास और नज़दीकियां बड़ाता है। जिससे एक दूसरे के साथ निजी बातें करना और आसान हो जाता है।

टेस्टोस्टेरोन: पुरुष और महिला दोनों में ही टेस्टोस्टेरोन यौन इच्छा और कामोत्तेजक्ता को बढ़ावा देता है। यह इस बात पर असर डालता है कि दोनों साथी एक दूसरे से कैसे बात करते हैं - हालाँकि इस रिसर्च से पहले यह एक रहस्य ही था कि टेस्टोस्टेरोन सेक्स के बाद होने वाली बातचीत पर क्या असर डालता है।

टेस्टोस्टेरोन का असर

शोधकर्ता अपनी रिसर्च के लिए ऐसे केवल 250 विश्विद्यालय के छात्र ही ढूंढ पाये जो अपने सेक्स जीवन के बारे में निजी बातें करने को तैयार थे। उनके टेस्टोस्टेरोन का स्तर पता चल सके इसके लिए उनके थूक के अंश पहले ही लिए जा चुके थे।

उसके अगले दो हफ़्तों तक, उन्हें एक ऑनलाइन डायरी भरने को कहा गया। ऐसा उन्हें तब करना था जब सहभागियों और उनके साथी के बीच कुछ भी ऐसा हुआ जिसे सेक्स कहा जा सके- हस्तमैथुन से लेकर सम्भोग तक। ऐसा इसलिए किया गया था जिससे शोधकर्ता वो सारा मज़ेदार विवरण ऑनलाइन पढ़ सकें।

शोधकर्ता यह भी जानना चाहते थे कि अपने विचार खुल कर बोलना विद्यार्थियों के लिए आसान था या वो इसे जोखिमभरा समझते थे। उन्होंने विद्यार्थियों से यह भी पुछा कि वो ऐसे वक्तव्यों से कितने सहमत थे, "मैं अपने साथी को वो सब नहीं कहना जो मैंने उसे कहा", या "मेरे मन में आजकल अपने साथी के बारे में कई नकारात्मक ख्याल आ रहे हैं और वो मैंने उसे बता दिए"

उसके बाद शोधकर्ताओं ने इस सब का मिलान टेस्टोस्टेरोन के स्तर से किया। जानना चाहेंगे उन्हें क्या मिला?

जिन लोगोँ के टेस्टोस्टेरोन स्तर ऊपर थे......

सेक्स के बाद उनके द्वारा कही बातें आमतौर पर नकारात्मक पायी गयी - और अगर उन्हें ओर्गास्म ना हुआ हो तो उनके शब्द और भद्दे हो गए थे!

वो सेक्स के बाद बात करते वक़्त असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल करते थे।

उन्हें 'पिल्लो टॉक' के फायदे नहीं नज़र आते थे

उन्हें यह लगता था कि सेक्स के बाद अपने साथी से बात करना ख़तरनाक हो सकता है।

टेस्टोस्टेरोन का असर

तो क्यों टेस्टोस्टेरोन का सेक्स के बाद बातचीत पर इतना गहरा असर पड़ता है? इसका एक स्पष्टीकरण यह हो सकता है कि इस हार्मोन की वजह से शायद ओक्सिटोसिन उतना असरदार नहीं हो पाता। हो सकता है कि अधिक टेस्टोस्टेरोन वाले लोगों को वो प्यार और रोमांस से सरोबोर भावनाओं का अनुभव ही नहीं हो पाता जिनका सम्बन्ध ओक्सिटोसिन से होता है। शायद यही वजह है कि वो अपने साथी से बात करने में संकोच करते हैं।

तो हम क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? यह कि अगर आपका साथी सेक्स के बाद चिड़चिड़ा प्रतीत होता है तो इसकी वजह टेस्टोस्टेरोन हो सकता है। और अगर आप उनमें से हैं जो चाहते हैं कि सेक्स के बाद आपका बातूनी साथी कुछ भी ना कहे तो कुछ भी कहने से पहले सोच ले, ऐसा ना हो आपको बाद में पछतावा हो। सेक्स की तरह ही सेक्स के बाद होने वाले वार्तालाप में भी एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करना सीखें।

स्त्रोत: फिजियोलॉजी एंड पिल्लो टॉक: रिलेशन्स बिटवीन टेस्टोस्टेरोन एंड कम्युनिकेशन पोस्ट सेक्स, (2016)

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