लड़ाई: क्या करें और क्या नहीं
Shutterstock/imagedb.com/चित्र में व्यक्ति मॉडल हैं

लड़ाई: क्या करें और क्या नहीं

आप ऐसे कितने दम्पतियों से मिले हैं जिनके बीच कभी भी बहस-बाज़ी नहीं हुई है? शायद कोई याद ना आये आपको! बहुत नीजी रिश्तों झगड़े तो होते ही हैं।इन झगड़ों की वजह कुछ भी हो सकती है - किसी भी तरह की असहमति या असंतुष।

यही झगड़े बहुत गन्दा रूप भी ले सकते हैं और कई बार दो लोगों को एक दुसरे के और करीब भी ला सकते हैं। आप जिस तरह से बहस-बाज़ी करते हैं, उसका सीधा असर असर होता है आपके रिश्ते पर। तो अगर झगडा होना ही है, तो यह झगडा ठीक से ही हो! पढ़िए इस मुद्दें पर कुछ ख़ास बातें - झगड़े के दौरान क्या करें और क्या नहीं।

क्या करें...

सुनिए और इज्ज़त करिए
 
अपने साथी की बात पर ध्यान दीजिये, चाहे आप कितना भी सही समझते हों। एक अच्छी और सच्चा झगडा वही होता है जिसमे दोनों व्यक्तियों को बराबर बोलने का समय मिले। अगर आप गला फाड़-फाड़ कर चिल्लाते रहेंगे, तो 90  परसेंट समय आपका चिल्लाने  में ही निकल जायेगा - और यह झगड़ा फिर बहुत गन्दा रूप भी ले सकता है।

आलोचना करें, लेकिन रचनात्मक तरीके से

हमेशा वही बातें बोलिए जो की आपके रिश्ते को आगे मज़बूत ही बनाये, कमज़ोर नहीं। एक झगड़े में, हम अधिकतर भावनाओं में बह जाते हैं, और समझदारी से सोचने की श्रमता जैसे खो जाती हैं।

ऐसे समय में, अपने आपको याद दिलाइये की यह झगड़ा आपके एक बहुत ज़रूरी रिश्ते में एक छोटा सा किस्सा है, इसलिए अगर एक दुसरे की आलोचना भी करें तो सहज ढंग से, ताकि रिश्ते में ज़िन्दगी भर के लिए कोई दरार ना आ जाये।

जो कहते हैं वो करिए

जब हम किसी तरह के दबाव में होते हैं तो हम अपना गुस्सा उनके ऊपर निकालते हैं जो हमारे सबसे करीब होते हैं। तो अगर झगड़ा शुरू हो ही गया है, और आप ही ने शुरुवात की है, तो ज़रा अपने दिमाग पर जोर डालिए की आपके गुस्से का कारण आखिर है क्या - आपके साथी, या आपके बॉस, ख़राब दिन, या कुछ पैसे की चिंता।

झगड़ा शुरू होने से पहले, एक गहरी सांस लीजिये और सोच लीजिये की आपके पास बहस करने की कोई सही वजह है भी या नहीं। बस ऐसा कुछ ना कह दीजिये जिसके बारे में आप बाद में पछतावा करें।

झगड़ा सुलझाना

एक झगड़े को सुलझाकर नार्मल होने में समय लग सकता है - शायद कुछ दिन या हफ्ते भी - यह इस पर निर्भर करता है की झगड़ा कितना बड़ा हुआ है। आप अपनी तरफ से चीजे नोर्मल करने की शुरुवात करिए। और यह कोशिश जल्द ही करिए। अपने साथी को यह ज़रूर बताइए की आप इस झगड़े के बावजूद भी उन्हें बहुत प्यार करते हैं।

उनके लिए घर में कही भी एक छोटी सी चिट्ठी लिख कर छोड़िए, या कुछ फूल लाकर दीजिये। एक जोर की झप्पी सो सबसे बेहतर है। और शायद कुछ मज़ेदार सेक्स भी। झगड़े के बाद, चीज़ें नार्मल करना सबसे ज्यादा ज़रूरी है।

क्या नहीं करें...

गाली या मारपीट
 
कभी भी अपने साथी के साथ मारपीट या गाली गलोच न करें। अगर आप अपने साथी पर हाथ उठाएंगे तो हो सकता है वो अपनी हार मानले लेकिन इसका कारण सिर्फ डर होगा।
अपने साथी पर छींटाकाशी न करें. ऐसी बातें कहने से आप सिर्फ उन्हें दुखी और नाराज़ ही करेंगे। सोच कर देखिये की अगर आपका साथी आपको नीचा दिखाए तो आपको कैसा महसूस होगा? साथ ही यदि आप अपने साथी को नीचा दिखने जैसी बातें कहते हैं तो इसका परिणाम यही होगा की वो वाकई आपके लिए कुछ भी करने से पीछे हटने लगेंगे। इसके फलस्वरूप आपको सचमुच यकीन हो जायेगा की आपका साथी किसी योग्य नहीं है, और शायद ये सच न हो।

धमकी

किसी भी कीमत पर भावनात्मक धमकिया देने से बचिए, जैसे की, "अगर तुमसे मुझे छोड़ दिया तो मैं खुद को चोट पहुंचा दूंगा," या फिर "अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं ये रिश्ता ख़तम कर दूंगा।" ऐसा करने से उस समय के लिए समस्या को किनारे तो कर पाएंगे लेकिन उसका समाधान मिलना असंभव है।
 
ज़ाहिर है की आपको या आपके साथी को इस स्थिति में लगता है की अब किसी बेहतरी की कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन इसका अर्थ ये बिलकुल नहीं की धमकी दी जाये। गंभीर चर्चा और एक दूसरे के लिए इज्ज़त बनाये रखना बेहतर उपाय है।

दीवार
 
जरूरी सवालों के जवाब देने से मुह मत छुपाइये। बात बिगड़ने के डर से डिस्कशन और चर्चा से मत बचिए। लड़ाई के दर से डिस्कशन से दूर भागकर आप सिर्फ स्थिति को और बिगड़ रहे हैं।

बहस कर के सो जाना

अंत में, ये बात सुनने में थोड़ी घिसी पिटी बेशक लगे लेकिन सच है की किसी बहस को बेडटाइम से पहेले की ख़त्म कर दिया जाये तो बेहतर है।
 
इस बात की पुष्टि तो वैज्ञानिकों ने भी की है की बुरे मूड में सोने से आपके भावनात्मक अनुभव दिमाग की यादों में और बुरा असर डालते हैं। तो अपने आप को उस कडवे एहसास से बाहर निकल कर चैन की नींद का बंदोबस्त करिए। वो तभी होगा जब आप बहस को बेडरूम के बाहर ही छोड़ देंगे।

चित्र में व्यक्ति मॉडल हैं. 

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